ज़ख़्मों को रफ़ू कर लें दिल शाद करें फिर से
ख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से
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सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का
कब समाँ देखेंगे हम ज़ख़्मों के भर जाने का
तिरा ख़याल भी तेरी तरह सितमगर है
पिछले सफ़र में जो कुछ बीता बीत गया यारो लेकिन
ख़ौफ़ का क़हर
ये क्या है मोहब्बत में तो ऐसा नहीं होता
दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए
देखने के लिए इक चेहरा बहुत होता है
तिलिस्म ख़त्म चलो आह-ए-बे-असर का हुआ
दिल परेशाँ हो मगर आँख में हैरानी न हो
एक ख़ुश-ख़बरी