दिल ओ निगाह का ये फ़ासला भी क्यूँ रह जाए
अगर तू आए तो मैं दिल को आँख में रख लूँ
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(434) Peoples Rate This
तिरी तलाश तो क्या तेरी आस भी न रहे
दिल पे ऐ दोस्त क़यामत सी गुज़र जाती है
जिस के बाइस अभी ठंडक है मिरे सीने में
वो मिरी सुब्हों का तारा वो मिरी रातों का चाँद
वो मिरे पास है क्या पास बुलाऊँ उस को
वाक़िआ कोई न जन्नत में हुआ मेरे ब'अद
आता है ख़ौफ़ आँख झपकते हुए मुझे
अब अपने चेहरे पर दो पत्थर से सजाए फिरता हूँ
मैं अपनी जाँ में उसे जज़्ब किस तरह करता
यूँ ख़ाक की मानिंद न राहों पे बिखर जा
ज़मीं अपने लहू से आश्ना होने ही वाली है
वो कौन है उसे सूरज कहूँ कि रंग कहूँ