Bewafa Poetry of Imdad Ali Bahr

Bewafa Poetry of Imdad Ali Bahr
नामइमदाद अली बहर
अंग्रेज़ी नामImdad Ali Bahr
मौत की तिथि1878
जन्म स्थानLucknow

आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे

ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा

वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे

सर्व में रंग है कुछ कुछ तिरी ज़ेबाई का

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया

ख़ुर्शीद-रुख़ों का सामना है

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

हमीं नाशाद नज़र आते हैं दिल-शाद हैं सब

ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

आश्ना कोई बा-वफ़ा न मिला

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