कलेजा मुँह को आया और नफ़स करने लगा तंगी
हुआ क्या जान को मेरी अभी तो थी भली-चंगी
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Wasi Shah
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(369) Peoples Rate This
अदा-ओ-नाज़ ओ करिश्मा जफ़ा-ओ-जौर-ओ-सितम
एक बोसा माँगता है तुम से 'हातिम' सा गदा
इन दिनों हम से जो वहशी की तरह भड़को हो
नज़र में बंद करे है तू एक आलम को
आशिक़ों के सैर करने का जहाँ ही और है
तरीक़त में अगर ज़ाहिद मुझे गुमराह जाने है
दर-ओ-दीवार-ए-चमन आज हैं ख़ूँ से लबरेज़
कभू पहुँची न उस के दिल तलक रह ही में थक बैठी
मेरी फ़रियाद कोई नईं सुनता
मज्लिस में रात गिर्या-ए-मस्ताँ था तुझ बग़ैर
तौबा ज़ाहिद की तौबा तल्ली है
अजब अहवाल देखा इस ज़माने के अमीरों का