रखता है इबादत के लिए हसरत-ए-जन्नत
ज़ाहिद की ख़ुदा साथ मोहब्बत सबबी है
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(442) Peoples Rate This
कुन के कहने में जो हुआ सो हुआ
बंदा अगर जहाँ में बजाए ख़ुदा नहीं
तबीबों की तवज्जोह से मरज़ होने लगा दूना
क्या मदरसे में दहर के उल्टी हवा बही
देखा किसी ने हम से ज़माने ने क्या किया
गुलशन-ए-दहर में सौ रंग हैं 'हातिम' उस के
मुद्दत हुई पलक से पलक आश्ना नहीं
कभू बीमार सुन कर वो अयादत को तो आता था
इश्क़ ने चुटकी सी ली फिर आ के मेरी जाँ के बीच
शहर में चर्चा है अब तेरी निगाह-ए-तेज़ का
रिआयत बूझ तू माशूक़ का जौर
होवे वो शोख़-चश्म अगर मुझ से चार चश्म