बहुत हसीं रात है मगर तुम तो सो रहे हो
निकल के कमरे से इक नज़र चाँदनी तो देखो
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जैसे ये मेज़ मिट्टी का हाथी ये फूल
तरह तरह से मिरा दिल बढ़ाया जाता है
ये सच है दुनिया बहुत हसीं है
होने से मिरे फ़र्क़ ही पड़ता था भला क्या
मैं किसी दूसरे पहलू से उसे क्यूँ सोचूँ
मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक
तसल्ली अब हुई कुछ दिल को मेरे
गुज़र रहा है वो लम्हा तो याद आया है
किस एहसास-ए-जुर्म की सब करते हैं तवक़्क़ो
सारी दुनिया से लड़े जिस के लिए
अजब शिकस्त का एहसास दिल पे छाया था
कुत्ते की मौत