होश वाले तो उलझते ही रहे
रास्ते तय हुए दीवानों से
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मायूसी
मेरे महबूब मिरे दिल को जलाया न करो
इस फ़ैसले पे लुट गई दुनिया-ए-ए'तिबार
हँसते हँसते बहे हैं आँसू भी
कुछ तो फ़ितरत से मिली दानाई
हौसले की कमी से डरता हूँ
शुऊ'र-ए-कैफ़-ओ-ख़ुशी है ज़रा ठहर जाओ
हसरतें बन कर निगाहों से बरस जाएँगे हम
तुम ही अब वो नहीं रहे वर्ना
ज़िंदगी से कोई मानूस तो हो ले पहले
'शौकत' वो आज आप को पहचान तो गए