कोई हम से ख़फ़ा सा लगता है
वर्ना दिल क्यूँ बुझा सा लगता है
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Gulzar
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(427) Peoples Rate This
वो निकले हैं सरापा बन-सँवर कर
मोहब्बत को बहुत होती है ग़ैरत
चाहे दीवाना कहें या लोग सौदाई कहें
याद है अब तक मुझे अहद-ए-जवानी याद है
हुआ जब जल्वा-आरा आप का ज़ौक़-ए-ख़ुद-आराई
दिलों को तोड़ने वालो ख़ुदा का ख़ौफ़ करो
पथराई आँखों में देखो क्या क्या रंग दिखाता आँसू
कहीं आँसुओं से लिखा हुआ कहीं आँसुओं से मिटा हुआ
हिज्र में यूँ बहते हैं आँसू
साथ तेरा रहा नहीं बाक़ी
शाम-ए-ग़म की सहर न हो जाए