न मिले जब तलक विसाल उस का
तब तलक फ़ौत है मिरा मतलब
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सनम हज़ार हुआ तो वही सनम का सनम
मेरे जिगर के दर्द का चारा कब आएगा
काफ़िर हुआ हूँ रिश्ता-ए-ज़ुन्नार की क़सम
तुझ ज़ुल्फ़ में दिल ने गुम किया राह
यक निगह सें लिया है वो गुलफ़ाम
मिरे सीं दूर क्या चाहते हैं साया-ए-इश्क़
क्या बला का है नशा इश्क़ के पैमाने में
कभी सम्त-ए-ग़ैब सीं क्या हुआ कि चमन ज़ुहूर का जल गया
तिरी ज़ुल्फ़ ज़ुन्नार का तार है
किया है जब सीं अमल बे-ख़ुदी के हाकिम ने
हमारे पास जानाँ आन पहुँचा
ऐ अक़्ल निकल जा कि धुआँ आह का नहीं है