इश्क़ की तर्ज़-ए-तकल्लुम वही चुप है कि जो थी
लब-ए-ख़ुश-गू-ए-हवस महव-ए-बयाँ है कि जो था
Habib Jalib
Anwar Masood
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(487) Peoples Rate This
कहो बुतों से कि हम तब्अ सादा रखते हैं
ये हादिसा भी हुआ है कि इश्क़-ए-यार की याद
वाइज़ो मैं भी तुम्हारी ही तरह मस्जिद में
रेत की तरह किनारों पे हैं डरने वाले
मेरा जीना है सेज काँटों की
दिन ढला शाम हुई फूल कहीं लहराए
किसी की इश्वा-गरी से ब-ग़ैर-ए-फ़स्ल-ए-बहार
ग़म के तारीक उफ़ुक़ पर 'आबिद'
गर्दिश-ए-जाम नहीं रुक सकती
नग़्मा ऐसा भी मिरे सीना-ए-सद-चाक में है
दम-ए-रुख़्सत वो चुप रहे 'आबिद'
शरअ-ओ-आईन की ताज़ीर के बा-वस्फ़ शबाब