आशिक़ जो हुआ है तो किसे पर नागाह
है मेरी तरह से हाल तेरा भी तबाह
क्या हुस्न है लाग़री में अल्लाह अल्लाह
जिस पर क़ुर्बान हो मह-ए-आख़िर-ए-माह
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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Habib Jalib
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Gulzar
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Allama Iqbal
Parveen Shakir
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वाइ'ज़ ओ शैख़ सभी ख़ूब हैं क्या बतलाऊँ
हम को हवस-ए-जल्वा-गाह-ए-तूर नहीं है
न बुज़ला-संज न शाएर न शोख़-तब्अ रक़ीब
फैला के तसव्वुर के असर को मैं ने
बरसों ढूँडा किए हम दैर-ओ-हरम में लेकिन
मोहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का
जानाँ को सर-ए-मेहर-ओ-वफ़ा है झूट सब
कहाँ है तू कहाँ है और मैं हूँ
गर कहे हुलूल है वो इक अमर क़बीह
ऐ नोश-ए-लब-ओ-माह-रुख़-ओ-ज़ोहरा-जबीं
अफ़्साना-ए-मजनूँ से नहीं कम मिरा क़िस्सा
ख़रीदारी है शहद ओ शीर ओ क़स्र ओ हूर ओ ग़िल्माँ की