ये कारोबार-ए-जब्र-ओ-जहालत नहीं क़ुबूल
ये फ़ीस्ताइयत किसी हालत नहीं क़ुबूल
इंसान का भी क़त्ल है इंसाफ़ का भी क़त्ल
इंसाफ़ मावरा-ए-अदालत नहीं क़ुबूल
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
Mir Taqi Mir
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मिलावट
मेरा इंतिख़ाबी मंशूर
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत
जुनूँ पे जब्र-ए-ख़िरद जब भी होश्यार हुआ
चीज़ मिलती है ज़र्फ़ की हद तक
तूफ़ाँ नहीं गुज़रे कि बयाबाँ नहीं गुज़रे
उधार
पुरानी मोटर
अद्ल
साहब की बिपता
हज़रत-ए-इक़बाल का शाहीं तो हम से उड़ चुका
ख़ुलासा ये मिरे हालात का है