बहुत से ख़्वाब देखोगे तो आँखें
तुम्हारा साथ देना छोड़ देंगी
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(675) Peoples Rate This
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी
तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों
तिरे ख़याल के हाथों कुछ ऐसा बिखरा हूँ
अपनी इस आदत पे ही इक रोज़ मारे जाएँगे
मैं बोलता गया हूँ वो सुनता रहा ख़ामोश
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी याद
अक्सर इस तरह आस का दामन
भला ग़मों से कहाँ हार जाने वाले थे
खुल के मिलने का सलीक़ा आप को आता नहीं
हमारा अज़्म-ए-सफ़र कब किधर का हो जाए