घर और बयाबाँ में कोई फ़र्क़ नहीं है
लाज़िम है मगर इश्क़ के आदाब में रहना
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तुलू-ए-साअत-ए-शब-ख़ूँ है और मेरा दिल
मशग़ूल हैं सफ़ाई-ओ-तौसी-ए-दिल में हम
एक तअस्सुर
तिरी दुनिया में ऐ दिल हम भी इक गोशे में रहते हैं
बारिश का है ऐसा काल
हुस्न नजात-दहिन्दा है
सुख की ख़ातिर दुख मत बेच
हमेशा दिल हवस-ए-इंतिक़ाम पर रक्खा
किसी का ध्यान मह-ए-नीम-माह में आया
दिल-ए-बेताब के हमराह सफ़र में रहना
एक आँसू से कमी आ जाएगी