जो हो न सका हम से वो कर जाओ तुम
इस पार से उस पार उतर जाओ तुम
हम देते रहे चर्ख़-ए-फ़लक को इल्ज़ाम
मुमकिन हो तो उस से भी गुज़र जाओ तुम
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
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Habib Jalib
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इस हाथ से जो कुछ मैं लिया करता हूँ
ख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम
गुलशन-ए-आरज़ू की दीद के ब'अद
नसीम, फूलों की रौनक़, खिले हुए तारे
फिरती हूँ लिए सोज़-ए-हयात आँखों में
तैरे गीतों की लय अरे तौबा
फ़िदा-ए-मंज़िल-ए-बे-जादा हैं ख़ुदा रक्खे
आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया
लुत्फ़ ले ले के पिए हैं क़दह-ए-ग़म क्या क्या
ये साग़र-ए-ग़म की गर्दिश है सहबा-ए-तरब का दौर है ये
ऐ बख़्त! मज़े कुछ तो उठाऊँ मैं भी
ख़िज़ाँ में आग लगाओ बहार के दिन हैं