कर रहा हूँ तुझे ख़ुशी से बसर
ज़िंदगी तुझ से दाद चाहता हूँ
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एक दिन मेरी ख़ामुशी ने मुझे
इस से आगे तो बस ला-मकाँ रह गया
किसी तरह से मैं टल जाऊँ अपनी मर्ज़ी से
ठीक से याद भी नहीं अब तो
मुझे पता है कि बर्बाद हो चुका हूँ मैं
पुर्सा
किस ने आबाद किया है मरी वीरानी को
चला हवस के जहानों की सैर करता हुआ
किस शफ़क़त में गुँधे हुए मौला माँ बाप दिए
पानी की आवाज़
ये भी आग़ाज़-ए-मोहब्बत में बहुत है मुझ को
एक ताबीर की सूरत नज़र आई है इधर