किया बादलों में सफ़र ज़िंदगी भर
ज़मीं पर बनाया न घर ज़िंदगी भर
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दोस्त कहता हूँ तुम्हें शाएर नहीं कहता 'शुऊर'
हमेशा हात में रहते हैं फूल उन के लिए
गो कठिन है तय करना उम्र का सफ़र तन्हा
कुछ दिन तो कर तआ'वुन ऐ ख़ुश-सिफ़ात मुझ से
किस क़दर बद-नामियाँ हैं मेरे साथ
मिरी हयात है बस रात के अँधेरे तक
मुस्कुरा कर देख लेते हो मुझे
गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ
आवारा हूँ रैन-बसेरा कोई नहीं मेरा
जनाब के रुख़-ए-रौशन की दीद हो जाती
अगरचे आइना-ए-दिल में है क़याम उस का
निज़ाम-ए-ज़र में किसी और काम का क्या हो