निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे

निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे

इश्क़ को हुस्न बना हुस्न को हैरानी दे

दिल-नवाज़ी में भी ईज़ा है मोहब्बत की क़सम

तुझ को फ़ुर्सत जो कभी शुग़्ल-ए-सितम-रानी दे

कुछ तिरी चश्म-ए-सुख़न-साज़ का ईमा न खुला

लब-ए-मय-नोश को तकलीफ़-ए-गुल-अफ़्शानी दे

फूल वो है जो मयस्सर चढ़े ये सुनता था

अब खुला दिल की रह-ए-इश्क़ में क़ुर्बानी दे

आइना संग-ए-दर-ए-दोस्त हुआ भी तो क्या

सर जो सज्दे में झुके लौ तिरी पेशानी दे

उफ़ वो पुरकार जो सुनते ही तग़ाफ़ुल का गिला

इश्वा-ओ-नाज़ को ता'लीम-ए-पशीमानी दे

दिल-ए-बेताब-ए-तमाशा की तसल्ली मा'लूम

अपने हर जल्वे को इक पैकर-ए-इंसानी दे

उस की अंगड़ाई का आलम तो कभी देख ऐ गुल

और ही हुस्न तिरी चाक-गरेबानी दे

आओ शीराज़ा-ए-हस्ती को परेशाँ कर दें

यूँ कि उस ज़ुल्फ़ को पैग़ाम-ए-परेशानी दे

तेरी सरकार ग़नी तेरा गदा भी है ग़नी

कुछ न दे और जो दे ग़म की फ़रावानी दे

इस तवक़्क़ो पे हूँ ख़ामोश कि वो शोख़-निगाह

फिर टहोका प-ए-तक़रीब-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी दे

(868) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nigah-e-shauq Ko Yun Aaina-samani De In Hindi By Famous Poet Asar Lakhnavi. Nigah-e-shauq Ko Yun Aaina-samani De is written by Asar Lakhnavi. Complete Poem Nigah-e-shauq Ko Yun Aaina-samani De in Hindi by Asar Lakhnavi. Download free Nigah-e-shauq Ko Yun Aaina-samani De Poem for Youth in PDF. Nigah-e-shauq Ko Yun Aaina-samani De is a Poem on Inspiration for young students. Share Nigah-e-shauq Ko Yun Aaina-samani De with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.