जो तू हो साफ़ तो कुछ मैं भी साफ़ तुझ से कहूँ
तिरे है दिल में कुदूरत कहूँ तो किस से कहूँ
Jaun Eliya
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(801) Peoples Rate This
चाहिए उस का तसव्वुर ही से नक़्शा खींचना
वाँ रसाई नहीं तो फिर क्या है
गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है
'ज़फ़र' आदमी उस को न जानिएगा वो हो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का
न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए न ताज-ए-शाहाना
हम अपना इश्क़ चमकाएँ तुम अपना हुस्न चमकाओ
जिगर के टुकड़े हुए जल के दिल कबाब हुआ
याँ ख़ाक का बिस्तर है गले में कफ़नी है
न दो दुश्नाम हम को इतनी बद-ख़़ूई से क्या हासिल
तमन्ना है ये दिल में जब तलक है दम में दम अपने
देख दिल को मिरे ओ काफ़िर-ए-बे-पीर न तोड़
करेंगे क़स्द हम जिस दम तुम्हारे घर में आवेंगे