ये उन का खेल तो देखो कि एक काग़ज़ पर
लिखा भी नाम मिरा और फिर मिटा भी दिया
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कहते हैं अर्ज़-ए-वस्ल पर वो कहो
अहद के साथ ये भी हो इरशाद
वो अपने मतलब की कह रहे हैं ज़बान पर गो है बात मेरी
चराग़ उस ने बुझा भी दिया जला भी दिया
ये छेड़ क्या है ये क्या मुझ से दिल-लगी है कोई
पूछते हैं वो इश्क़ का मतलब
कभी दर पर कभी है रस्ते में
है दुनिया में ज़बाँ मेरी अगर बंद
मिरा दिल भी तिलिस्मी है ख़ज़ाना
बंधन सा इक बँधा था रग-ओ-पय से जिस्म में