तिरी तेग़ का लाल कर दूँगा मुँह
जो ये खेलने मुझ से आएगी रंग
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हो के मजबूर आह करता हूँ
मुँह फेर कर वो कहते हैं बस मान जाइए
जताए जाते हैं एहसान भी सता के मुझे
अपने जल्वे का वो ख़ुद आप तमाशाई है
ज़ाहिदों से न बनी हश्र के दिन भी या-रब
अदू के ताकने को तुम इधर देखो उधर देखो
सख़्त-जाँ हूँ मुझे इक वार से क्या होता है
शम-ए-मज़ार थी न कोई सोगवार था
दिल मोहब्बत से भर गया 'बेख़ुद'
राह में बैठा हूँ मैं तुम संग-ए-रह समझो मुझे
दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर
उन्हें तो सितम का मज़ा पड़ गया है