कोई नाम-ओ-निशाँ पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना
तख़ल्लुस 'दाग़' है वो आशिक़ों के दिल में रहते हैं
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1229) Peoples Rate This
उज़्र उन की ज़बान से निकला
क्या पूछते हो कौन है ये किस की है शोहरत
ईद है क़त्ल मिरा अहल-ए-तमाशा के लिए
ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया
तुम आईना ही न हर बार देखते जाओ
आती है बात बात मुझे बार बार याद
मुझे याद करने से ये मुद्दआ था
हाथ निकले अपने दोनों काम के
बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें शिकवा
उस से क्या ख़ाक हम-नशीं बनती
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
उधर शर्म हाइल इधर ख़ौफ़ माने