दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
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जवाँ-मर्दी उसी रिफ़अत पे पहुँची
अंजाम
सितम सिखलाएगा रस्म-ए-वफ़ा ऐसे नहीं होता
मैं तेरे सपने देखूँ
न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके
सजाओ बज़्म ग़ज़ल गाओ जाम ताज़ा करो
तीन मंज़र
'शोपीं' का नग़्मा बजता है
जश्न का दिन
तन्हाई
मता-ए-लौह-ओ-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है
हम ने सब शेर में सँवारे थे