Ghazals of Farhat Kanpuri

Ghazals of Farhat Kanpuri
नामफ़रहत कानपुरी
अंग्रेज़ी नामFarhat Kanpuri

वो बहकी निगाहें क्या कहिए वो महकी जवानी क्या कहिए

वस्ल के लम्हे कहानी हो गए

तिरा जल्वा शाम-ओ-सहर देखते हैं

मुँह-बोला बोल जगत का है जो मन में रहे सो अपना है

मेरा दिल-ए-नाशाद जो नाशाद रहेगा

कुछ तो वुफ़ूर-ए-शौक़ में बाइ'स-ए-इम्तियाज़ हो

कोई भी हम-सफ़र नहीं होता

जो कुछ भी है नज़र में सो वहम-ए-नुमूद है

इक ख़लिश सी है मुझे तक़दीर से

आँखों में बसे हो तुम आँखों में अयाँ हो कर

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