Khawab Poetry of Farigh Bukhari

Khawab Poetry of Farigh Bukhari
नामफ़ारिग़ बुख़ारी
अंग्रेज़ी नामFarigh Bukhari
जन्म की तारीख1917
मौत की तिथि1997

हम एक फ़िक्र के पैकर हैं इक ख़याल के फूल

हज़ार तर्क-ए-वफ़ा का ख़याल हो लेकिन

ख़तरे का निशान

यादों का अजीब सिलसिला है

वो रौशनी है कहाँ जिस के बाद साया नहीं

मसीह-ए-वक़्त सही हम को उस से क्या लेना

मैं कि अब तेरी ही दीवार का इक साया हूँ

क्या अदू क्या दोस्त सब को भा गईं रुस्वाइयाँ

ख़िरद भी ना-मेहरबाँ रहेगी शुऊ'र भी सर-गराँ रहेगा

हुए हैं सर्द दिमाग़ों के दहके दहके अलाव

देखे कोई जो चाक-ए-गरेबाँ के पार भी

देखा तुझे तो आँखों ने ऐवाँ सजा लिए

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