Ghazal Poetry (page 913)

तुम्हें ज़ेबा नहीं हरगिज़ सिले की आरज़ू रखना

अातिश बहावलपुरी

सितम को उन का करम कहें हम जफ़ा को मेहर-ओ-वफ़ा कहें हम

अातिश बहावलपुरी

मुझे उन से मोहब्बत हो गई है

अातिश बहावलपुरी

लाख पर्दों में गो निहाँ हम थे

अातिश बहावलपुरी

ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह

अातिश बहावलपुरी

कमाल-ए-हुस्न का जिस से तुम्हें ख़ज़ाना मिला

अातिश बहावलपुरी

इब्तिदा बिगड़ी इंतिहा बिगड़ी

अातिश बहावलपुरी

हर्फ़-ए-शिकवा न लब पे लाओ तुम

अातिश बहावलपुरी

आप की हस्ती में ही मस्तूर हो जाता हूँ मैं

अातिश बहावलपुरी

तिरी दोस्ती का कमाल था मुझे ख़ौफ़ था न मलाल था

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

रहज़नों के हाथ सारा इंतिज़ाम आया तो क्या

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

गुफ़्तुगू करने लगे रेत के अम्बार के साथ

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

आँखों को नक़्श-ए-पा तिरा दिल को ग़ुबार कर दिया

आतिफ़ वहीद 'यासिर'

ज़ंग-ख़ुर्दा लब अचानक आफ़्ताबी हो गए

आतिफ़ कमाल राना

तुम्हें गिला ही सही हम तमाशा करते हैं

आतिफ़ कमाल राना

इतना ही बहुत है कि ये बारूद है मुझ में

आतिफ़ कमाल राना

हवा आई न ईंधन आ रहा है

आतिफ़ कमाल राना

बहार-ए-ज़ख़्म-ए-लब-ए-आतिशीं हुई मुझ से

आतिफ़ कमाल राना

फिर किसी हादसे का दर खोले

अस्नाथ कंवल

काग़ज़ क़लम दवात के अंदर रुक जाता है

अस्नाथ कंवल

इंतिहा होने से पहले सोच ले

अस्नाथ कंवल

तुम्हारी याद का साया न होगा

आसिम शहनवाज़ शिबली

क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

आसी उल्दनी

क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

आसी उल्दनी

हज़ारों तरह अपना दर्द हम उस को सुनाते हैं

आसी उल्दनी

हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं

आसी उल्दनी

उन को मैं ने अपना कहा है

आसी रामनगरी

तुझे हम याद हर-दम ऐ सितम ईजाद करते हैं

आसी रामनगरी

सरशार हूँ साक़ी की आँखों के तसव्वुर से

आसी रामनगरी

सर झुकाए सर-ए-महशर जो गुनहगार आए

आसी रामनगरी

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