Heart Broken Poetry of Ghulam Mohammad Qasir (page 2)

Heart Broken Poetry of Ghulam Mohammad Qasir (page 2)
नामग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
अंग्रेज़ी नामGhulam Mohammad Qasir
जन्म की तारीख1941
मौत की तिथि1999
जन्म स्थानPeshawar

नज़र नज़र में अदा-ए-जमाल रखते थे

मोहब्बत की गवाही अपने होने की ख़बर ले जा

मिलने की हर आस के पीछे अन-देखी मजबूरी थी

लब पे सुर्ख़ी की जगह जो मुस्कुराहट मल रहे हैं

कुछ बे-तरतीब सितारों को पलकों ने किया तस्ख़ीर तो क्या

किताब-ए-आरज़ू के गुम-शुदा कुछ बाब रक्खे हैं

ख़्वाब कहाँ से टूटा है ताबीर से पूछते हैं

कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला

कहीं लोग तन्हा कहीं घर अकेले

जज़्बों को किया ज़ंजीर तो क्या तारों को किया तस्ख़ीर तो क्या

हम ने तो बे-शुमार बहाने बनाए हैं

हिज्र के तपते मौसम में भी दिल उन से वाबस्ता है

हर एक पल की उदासी को जानता है तो आ

गुलाबों के नशेमन से मिरे महबूब के सर तक

गलियों की उदासी पूछती है घर का सन्नाटा कहता है

बग़ैर उस के अब आराम भी नहीं आता

अपने अशआर को रुस्वा सर-ए-बाज़ार करूँ

अकेला दिन है कोई और न तन्हा रात होती है

आँख से बिछड़े काजल को तहरीर बनाने वाले

आफ़ाक़ में फैले हुए मंज़र से निकल कर

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