कभी कभी हमें दुनिया हसीन लगती थी
कभी कभी तिरी आँखों में प्यार देखते थे
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1043) Peoples Rate This
चाहे तन मन सब जल जाए
हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी
बद-तर है मौत से भी ग़ुलामी की ज़िंदगी
ये भी तो सोचिए कभी तन्हाई में ज़रा
बाद-ए-सबा ये ज़ुल्म ख़ुदा-रा न कीजियो
शैख़ क़ातिल को मसीहा कह गए
बे-सहारों का इंतिज़ाम करो
अभी से होश उड़े मस्लहत-पसंदों के
इस दीवाने दिल को देखो क्या शेवा अपनाए है
हर सहारा बे-अमल के वास्ते बे-कार है
ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है
इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ