Friendship Poetry (page 53)
मिरी दास्तान-ए-अलम तो सुन कोई ज़लज़ला नहीं आएगा
बेदिल हैदरी
अब आदमी कुछ और हमारी नज़र में है
बेदम शाह वारसी
तेरी उल्फ़त शोबदा-पर्वाज़ है
बेदम शाह वारसी
सहारा मौजों का ले ले के बढ़ रहा हूँ मैं
बेदम शाह वारसी
क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है
बेदम शाह वारसी
पर्दे उठे हुए भी हैं उन की इधर नज़र भी है
बेदम शाह वारसी
मुझे शिकवा नहीं बर्बाद रख बर्बाद रहने दे
बेदम शाह वारसी
में ग़श में हूँ मुझे इतना नहीं होश
बेदम शाह वारसी
मैं यार का जल्वा हूँ
बेदम शाह वारसी
खींची है तसव्वुर में तस्वीर-ए-हम-आग़ोशी
बेदम शाह वारसी
कौन सा घर है कि ऐ जाँ नहीं काशाना तिरा और जल्वा-ख़ाना तिरा
बेदम शाह वारसी
काश मिरी जबीन-ए-शौक़ सज्दों से सरफ़राज़ हो
बेदम शाह वारसी
कभी यहाँ लिए हुए कभी वहाँ लिए हुए
बेदम शाह वारसी
काबे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए
बेदम शाह वारसी
गुल का किया जो चाक गरेबाँ बहार ने
बेदम शाह वारसी
छिड़ा पहले-पहल जब साज़-ए-हस्ती
बेदम शाह वारसी
बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना था
बेदम शाह वारसी
बड़ी दिल-शिकन है रह-ए-सफ़र कोई हम-सफ़र है न यार है
बेबाक भोजपुरी
ऐ तन-परस्त जामा-ए-सूरत कसीफ़ है
बयान मेरठी
यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था
बयान मेरठी
मिस्ल-ए-हुबाब-ए-बहर न इतना उछल के चल
बयान मेरठी
खुला है जल्वा-ए-पिन्हाँ से अज़-बस चाक वहशत का
बयान मेरठी
ग़म्ज़ा-ए-मा'शूक़ मुश्ताक़ों को दिखलाती है तेग़
बयान मेरठी
ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार मुझे
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
ये ख़ूब-रू न छुरी ने कटार रखते हैं
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
या रब न हिन्द ही में ये माटी ख़राब हो
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
रात उस तुनुक-मिज़ाज से कुछ बात बढ़ गई
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
पूछता कौन है डरता है तू ऐ यार अबस
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
न फ़क़त यार बिन शराब है तल्ख़
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
मैं तिरे डर से रो नहीं सकता
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान