Heart Broken Poetry (page 4)
न तीरगी के लिए हूँ न रौशनी के लिए
ऐन सलाम
हम उस से इश्क़ का इज़हार कर के देखते हैं
अख़्तर हाशमी
मुद्दतों बा'द वो गलियाँ वो झरोके देखे
महमूद शाम
लज़्ज़त-ए-हिज्र ने तड़पाया बहुत रुस्वा किया
नसीम शेख़
कोई चराग़ न जुगनू सफ़र में रक्खा गया
वफ़ा नक़वी
था जो मेरे ज़ौक़ का सामान आधा रह गया
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
आकाश पे बादल छाए थे
बीना गोइंदी
ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
राब्ता टूट न जाए कहीं ख़ुद-बीनी से
असरार ज़ैदी
ज़ुल्म हद से गुज़रता रहा
जावेद सिद्दीक़ी आज़मी
तस्वीर तेरी यूँ ही रहे काश जेब में
आमिर अमीर
ज़िंदगी होने का दुख सहने में है
अर्श सिद्दीक़ी
राहत-ए-नज़र भी है वो अज़ाब-ए-जाँ भी है
महमूद शाम
शुआएँ ऐसे मिरे जिस्म से गुज़रती गईं
अली अकबर अब्बास
यहाँ-वहाँ से इधर-उधर से न जाने कैसे कहाँ से निकले
आफ़्ताब शकील
जो सकूँ न रास आया तो मैं ग़म में ढल रहा हूँ
अख़्तर आज़ाद
प्यार का यूँ दस्तूर निभाना पड़ता है
वलीउल्लाह वली
कई अँधेरों के मिलने से रात बनती है
तरकश प्रदीप
चाँद तारे जिसे हर शब देखें
अनवर अंजुम
अब तक तो यही पता नहीं है
बिमल कृष्ण अश्क
दिल से अरमाँ निकल रहे हैं
अख़्तर सईद
हम को ख़ुलूस-ए-दिल का किसी ने सिला दिया है
अनवर ख़लील
नद्दी ये जैसे मौज में दरिया से जा मिले
जानाँ मलिक
जी बहलता ही नहीं ख़ाली क़फ़स से
स्वप्निल तिवारी
मैं रस्ते में जहाँ ठहरा हुआ था
वफ़ा नक़वी
हादसे उम्र-भर आज़माते रहे
देवेश दिक्षित
रोने वालों ने तिरे ग़म को सराहा ही नहीं
बिमल कृष्ण अश्क
हवा ही लौ को घटाती वही बढ़ाती है
अमजद इस्लाम अमजद
तिरी तलाश तिरी जुस्तुजू उतरती है
हनीफ़ राही
जब जब मैं ज़िंदगी की परेशानियों में था