Heart Broken Poetry (page 5)
इश्क़ को आँख में जलते देखा
नजमा शाहीन खोसा
अफ़्सूँ पहली बारिश का
मसूद मिर्ज़ा नियाज़ी
देख कर वहशत निगाहों की ज़बाँ बेचैन है
गौतम राजऋषि
किसी के नाम को लिखते हुए मिटाते हुए
रश्मि सबा
अफ़्सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है
हबीब जालिब
बे-बसर आफ़ात से तकलीफ़ होती है मुझे
बशीर दादा
रौशनी बन के सितारों में रवाँ रहते हैं
अर्श सिद्दीक़ी
मैं किस से पूछता कि भला क्या कमी हुई
नईम गिलानी
मौसम हो कोई याद के खे़मे नहीं उठते
वफ़ा नक़वी
आख़िर हम ने तौर पुराना छोड़ दिया
अर्श सिद्दीक़ी
यूँ पाबंद-ए-सलासिल हो कर कौन फिरे बाज़ारों में
असरार ज़ैदी
इश्क़ से इज्तिनाब कर लेना
हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी
आधों की तरफ़ से कभी पौनों की तरफ़ से
आदिल मंसूरी
इमारत हो कि ग़ुर्बत बोलती है
वलीउल्लाह वली
सुब्ह का धोका हुआ है शाम पर
फ़ारूक़ इंजीनियर
हमारे सर पे तब कोई जहाँ होता नहीं था
आशू मिश्रा
किसी के बिछड़ने का डर ही नहीं
फ़ारूक़ इंजीनियर
अपना सोचा हुआ अगर हो जाए
अहमद महफ़ूज़
ये लाल डिबिया में जो पड़ी है वो मुँह दिखाई पड़ी रहेगी
आमिर अमीर
हश्र-ए-ज़ुल्मात से दिल डरता है
महमूद शाम
कितनी शिद्दत से तुझे चाहा था
महमूद शाम
बंद हथेली में हैं सब
बीना गोइंदी
इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ
अर्श सिद्दीक़ी
ग़ज़ल की चाहतों अशआ'र की जागीर वाले हैं
वरुन आनन्द
पेश हर अहद को इक तेग़ का इम्काँ क्यूँ है
अली अकबर अब्बास
ख़ुश-शनासी का सिला कर्ब का सहरा हूँ मैं
अब्दुल्लाह कमाल
कैसी उफ़्ताद पड़ी
फ़ैसल हाश्मी
कई लम्हे
फ़ैसल हाश्मी
ख़्वाहिश
हारिस ख़लीक़
मैं ने अपना वजूद गठड़ी में बाँध लिया
जवाज़ जाफ़री