Hope Poetry (page 4)
हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले
इरफ़ान सत्तार
ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं
इरफ़ान सत्तार
एक दुनिया की कशिश है जो इधर खींचती है
इरफ़ान सत्तार
अपनी ख़बर, न उस का पता है, ये इश्क़ है
इरफ़ान सत्तार
अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया
इरफ़ान सत्तार
घर से निकलो तो दुआ माँग के निकलो वर्ना
इरफ़ान परभनवी
रस्म-ए-उल्फ़त से है मक़्सूद-ए-वफ़ा हो कि न हो
इरफ़ान अहमद मीर
पाबंद-ए-ग़म-ए-उल्फ़त ही रहे गो दर्द-ए-दहिंदाँ और सही
इरफ़ान अहमद मीर
न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक
इरफ़ान अहमद मीर
न मैं हाल-ए-दिल से ग़ाफ़िल न हूँ अश्क-बार अब तक
इरफ़ान अहमद मीर
नक़ाब चेहरे से उस के कभी सरकता था
इरफ़ान अहमद
मैं कई बरसों से तेरी जुस्तुजू करती रही
इरम ज़ेहरा
कितनी दूर से चलते चलते ख़्वाब-नगर तक आई हूँ
इरम ज़ेहरा
हम उस के सामने हुस्न-ओ-जमाल क्या रखते
इरम ज़ेहरा
हम बाग़-ए-तमन्ना में दिन अपने गुज़ार आए
इरम लखनवी
अपने ग़रीब दिल की बात करते हैं राएगाँ कहाँ
इरम लखनवी
हज़ार बार वो बैठा हज़ार बार उठा
इक़तिदार जावेद
मैं कि वक़्फ़-ए-ग़म-ए-दौराँ न हुआ था सो हुआ
इक़बाल उमर
हर बात जो न होना थी ऐसी हुई कि बस
इक़बाल उमर
छतों पे आग रही बाम-ओ-दर पे धूप रही
इक़बाल उमर
अब इलाज-ए-दिल-ए-बीमार-ए-सहर हो कि न हो
इक़बाल उमर
ज़िंदाँ-नसीब हूँ मिरे क़ाबू में सर नहीं
इक़बाल सुहैल
ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की
इक़बाल सुहैल
उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में
इक़बाल सुहैल
सदा फ़रियाद की आए कहीं से
इक़बाल सुहैल
पैग़ाम-ए-रिहाई दिया हर चंद क़ज़ा ने
इक़बाल सुहैल
न रहा ज़ौक़-ए-रंग-ओ-बू मुझ को
इक़बाल सुहैल
हुस्न-ए-फ़ितरत की आबरू मुझ से
इक़बाल सुहैल
अब दिल को हम ने बंदा-ए-जानाँ बना दिया
इक़बाल सुहैल
उस ने भी कई रोज़ से ख़्वाहिश नहीं ओढ़ी
इक़बाल साजिद