Islamic Poetry (page 31)
हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हैराँ है जबीं आज किधर सज्दा रवा है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हिमाला की दासियाँ
फ़ैसल सईद फ़ैसल
ये तीरा-बख़्त बयानों में क़ैद रहते हैं
फ़ैसल सईद फ़ैसल
इश्क़ की आज इंतिहा कर दो
फ़ैसल फेहमी
जिसे कल रात भर पूजा गया था
फ़ैसल अज़ीम
अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई है
फ़ैसल अजमी
ये भी नहीं कि दस्त-ए-दुआ तक नहीं गया
फ़ैसल अजमी
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लिया
फ़ैसल अजमी
अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई है
फ़ैसल अजमी
पछतावा
फ़हमीदा रियाज़
नज़्र-ए-फ़िराक़
फ़हमीदा रियाज़
ख़ाकम-ब-दहन
फ़हमीदा रियाज़
जाप
फ़हमीदा रियाज़
बाकिरा
फ़हमीदा रियाज़
अक़्लीमा
फ़हमीदा रियाज़
आलम-ए-बर्ज़ख़
फ़हमीदा रियाज़
वलवले जब हवा के बैठ गए
फ़हमी बदायूनी
पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
फ़हमी बदायूनी
नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है
फ़हमी बदायूनी
कोई मिलता नहीं ख़ुदा की तरह
फ़हमी बदायूनी
राहदारी में गूँजती नज़्म
फ़हीम शनास काज़मी
''ला'' भी है एक गुमाँ
फ़हीम शनास काज़मी
और ख़ुदा ख़ामोश था
फ़हीम शनास काज़मी
ऐ मुबारज़-तलब
फ़हीम शनास काज़मी
हुस्न अल्फ़ाज़ के पैकर में अगर आ सकता
फ़हीम शनास काज़मी
सजन मुझ पर बहुत ना-मेहरबाँ है
फ़ाएज़ देहलवी
ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है
फ़ाएज़ देहलवी