Islamic Poetry (page 32)
ये शहर ये ख़्वाबों का समुंदर न बचेगा
एज़ाज़ अफ़ज़ल
लहू ने क्या तिरे ख़ंजर को दिलकशी दी है
एज़ाज़ अफ़ज़ल
ख़ून-ए-नाहक़ थी फ़क़त दुनिया-ए-आब-ओ-गिल की बात
एजाज़ वारसी
कार-ए-ख़ैर इतना तो ऐ लग़्ज़िश-ए-पा हो जाता
एजाज़ वारसी
उसे ये हक़ है कि वो मुझ से इख़्तिलाफ़ करे
एजाज़ रहमानी
चले थे घर से तो हम दर्द की दवा के लिए
एजाज़ अहमद एजाज़
तुझे भी हुस्न-ए-मुत्लक़ का अभी दीदार हो जाए
अहया भोजपुरी
क्यूँ हर तरफ़ तू ख़्वार हुआ एहतिसाब कर
अहया भोजपुरी
जब कभी दर्द की तस्वीर बनाने निकले
अहया भोजपुरी
ये दुनिया है यहाँ असली कहानी पुश्त पर रखना
एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी
साथ रखिए काम आएगा बहुत नाम-ए-ख़ुदा
एहतराम इस्लाम
मुंतशिर हर शय क़रीने से सजा दी जाएगी
एहतराम इस्लाम
ख़याल के फूल खिल रहे हैं बहार के गीत गा रहा हूँ
एहसान दरबंगावी
'एहसान' अपना कोई बुरे वक़्त का नहीं
एहसान दानिश
यूँ न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे
एहसान दानिश
वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए
एहसान दानिश
रंग-ए-तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के शनासा हम भी हैं
एहसान दानिश
रहे जो ज़िंदगी में ज़िंदगी का आसरा हो कर
एहसान दानिश
परस्तिश-ए-ग़म का शुक्रिया क्या तुझे आगही नहीं
एहसान दानिश
मिरे मिटाने की तदबीर थी हिजाब न था
एहसान दानिश
मौसम से रंग-ओ-बू हैं ख़फ़ा देखते चलो
एहसान दानिश
इश्क़ को तक़लीद से आज़ाद कर
एहसान दानिश
मैं शर की शरारत से तो होश्यार हूँ लेकिन
डॉ. पिन्हाँ
मंज़र है अभी दूर ज़रा हद्द-ए-नज़र से
डॉ. पिन्हाँ
मेरी मिट्टी में जब न था पत्थर
डॉक्टर आज़म
ख़ुदा भी जानता है ख़ूब जो मक्कार बैठे हैं
डॉक्टर आज़म
है निगाहों में कोह-ए-तूर मियाँ
डॉक्टर आज़म
अश्क पर ज़ोर कुछ चला ही नहीं
डॉक्टर आज़म
सवाल ये है कि इस पुर-फ़रेब दुनिया में
दिवाकर राही
हज़ारों बार कह कर बेवफ़ा को बा-वफ़ा मैं ने
दिवाकर राही