बारिश Poetry (page 16)
रूह के जलते ख़राबे का मुदावा भी नहीं
आरिफ़ अब्दुल मतीन
कितनी हसरत से तिरी आँख का बादल बरसा
आरिफ़ अब्दुल मतीन
आज की तारीख़ में इंसाँ मुकम्मल कौन है
आराधना प्रसाद
लगी रहती है अश्कों की झड़ी गर्मी हो सर्दी हो
अनवर शऊर
हैं पत्थरों की ज़द पे तुम्हारी गली में हम
अनवर शऊर
उन से तन्हाई में बात होती रही
अनवर शऊर
रही रात उन से मुलाक़ात कम
अनवर शऊर
काफ़ी नहीं ख़ुतूत किसी बात के लिए
अनवर शऊर
कड़ा है दिन बड़ी है रात जब से तुम नहीं आए
अनवर शऊर
साँसों में मिल गई तिरी साँसों की बास थी
अनवर सदीद
मौसम सर्द हवाओं का
अनवर सदीद
हर सम्त समुंदर है हर सम्त रवाँ पानी
अनवर सदीद
अपने दिल की आदत है शहज़ादों वाली
अनवर सदीद
न होंगे हम तो ये रंग-ए-गुलिस्ताँ कौन देखेगा
अनवर साबरी
इंक़िलाब-ए-सहर-ओ-शाम इलाही तौबा
अनवर साबरी
तमसील
अनवर नदीम
जब ज़मीं के मुक़द्दर सँवर जाएँगे
अनवर मीनाई
आज मुझे कुछ लोग मिले हैं पागल से
अनवर मीनाई
मेरी पहली नज़्म
अनवर मसूद
अगले दिन कुछ ऐसे होंगे
अनवर मसूद
मगर मेरी आँखों में
अनवर मक़सूद ज़ाहिदी
छत पर बारिश बरस रही है
अनवर ख़ान
उदासी एक लड़की है
अनवार फ़ितरत
उदासी एक लड़की है
अनवार फ़ितरत
उसे यादों में जब लाना मुसलसल कर दिया मैं ने
अनुभव गुप्ता
जुर्म ठहरा हाल से आगे का नक़्शा देखना
अनसर अली अनसर
जिस दिन शहर जला था उस दिन धूप में कितनी तेज़ी थी
अंजुम तराज़ी
लम्हा लम्हा अपनी ज़हरीली बातों से डसता था
अंजुम तराज़ी
साथ बारिश में लिए फिरते हो उस को 'अंजुम'
अंजुम सलीमी
पुर्सा
अंजुम सलीमी