कैफ़ियत-ओ-ज़ौक़ और ज़िक्र-ओ-औराद
ऊँट
है इश्क़ से हुस्न की सफ़ाई ज़ाहिर
शैतान करता है कब किसी को गुमराह
दर-अस्ल कहाँ है इख़्तिलाफ़-ए-अहवाल
अल-हक़ कि नहीं है ग़ैर हरगिज़ मौजूद
ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद
लाखों चीज़ें बना के भेजें अंग्रेज़
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
अहवाल से कहा किसी ने ऐ नेक-शिआ'र
हक़्क़ा कि बुलंद है मक़ाम-ए-अकबर