एक कम-सिन हसीन लड़की का
रात जब भीग के लहराती है
यूँ नदी में ग़ुरूब के हंगाम
तेरे माथे पे ये नुमूद-ए-शफ़क़
याद-ए-माज़ी में यूँ ख़याल तिरा
सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा
कितनी मासूम हैं तिरी आँखें
दोस्त! तुझ से अगर ख़फ़ा हूँ तो क्या
उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम
अंगड़ाई ये किस ने ली अदा से
अपने आईना-ए-तमन्ना में
इक ज़रा रसमसा के सोते में