जल्वों की है बारगाह मेरे दिल में
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
मुबहम पयाम
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
कल रात गए ऐन-ए-तरब के हंगाम
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
जाने वाले क़मर को रोके कोई