ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
फिर किसी बात का ख़याल आया
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
एक मुद्दत सितम उठाने पर
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी