मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
एक मुद्दत सितम उठाने पर
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल