शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी को
हाए ये सादगी ओ पुरकारी
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
वो अँधेरे जो मुंजमिद से थे
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
ज़िंदगी इस तरह भटकती है
मुस्कुराया है यूँ तिरा चेहरा
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल