पकड़े जाते हैं फ़रिश्तों के लिखे पर ना-हक़
आदमी कोई हमारा दम-ए-तहरीर भी था
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3425) Peoples Rate This
एक जा हर्फ़-ए-वफ़ा लिखा था सो भी मिट गया
पूछे है क्या वजूद ओ अदम अहल-ए-शौक़ का
ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है
'ग़ालिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं
है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'
'ग़ालिब' तिरा अहवाल सुना देंगे हम उन को
कोई उम्मीद बर नहीं आती
हमारे शेर हैं अब सिर्फ़ दिल-लगी के 'असद'
जज़्बा-ए-बे-इख़्तियार-ए-शौक़ देखा चाहिए
है ख़बर गर्म उन के आने की
दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग
कब वो सुनता है कहानी मेरी