बाल खोले नहीं फिरता है अगर वो सफ़्फ़ाक
फिर कहो क्यूँ मुझे आशुफ़्ता-सरी रहती है
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(613) Peoples Rate This
हमेशा सैर-ए-गुल-ओ-लाला-ज़ार बाक़ी है
सदा-ए-क़ुलक़ुल-ए-मीना मुझे नहीं आती
ख़ुद रहम कीजिए दिल-ए-उम्मीद-वार पर
बोसा जो माँगा बज़्म में फ़रमाया यार ने
हुस्न की दिल में मिरे जल्वागरी रहती है
आया पयाम-ए-वस्ल यकायक जो यार का
मीठी है ऐसी बात उस की
याद है रोज़-ए-अज़ल उस ने कहा क्या क्या कुछ
न बंद कर इसे फ़स्ल-ए-बहार में साक़ी
करते हैं चैन बैठे हुस्न-ओ-जमाल वाले
मुसाफ़िराना रहा इस सरा-ए-हस्ती में