कोई दीवार न दर जानते हैं

कोई दीवार न दर जानते हैं

हम इसी दश्त को घर जानते हैं

जान कर चुप हैं वगरना हम भी

बात करने का हुनर जानते हैं

ये मुहिम हदिया-ए-सर माँगती है

इस में है जाँ का ख़तर जानते हैं

लद गई शाख़-ए-लहू फूलों से

आएँगे अब के समर जानते हैं

जान जानी है तो जाएगी ज़रूर

हम दुआओं का असर जानते हैं

कौन है ताबा-ए-मोहमल किस का

किस का है किस पे असर जानते हैं

लोग उसे मस्लहतन कुछ न कहें

उस की औक़ात मगर जानते हैं

रात किस किस के उड़े हैं पुर्ज़े

शहर में क्या है ख़बर जानते हैं

रात काटे नहीं कटती है मगर

रात है ता-ब-सहर जानते हैं

हम ने भी देखी है दुनिया 'मोहसिन'

है किधर किस की नज़र जानते हैं

(662) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Koi Diwar Na Dar Jaante Hain In Hindi By Famous Poet Mohsin Zaidi. Koi Diwar Na Dar Jaante Hain is written by Mohsin Zaidi. Complete Poem Koi Diwar Na Dar Jaante Hain in Hindi by Mohsin Zaidi. Download free Koi Diwar Na Dar Jaante Hain Poem for Youth in PDF. Koi Diwar Na Dar Jaante Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Koi Diwar Na Dar Jaante Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.