जी में आता है मय-कशी कीजे
ताक कर कोई साया-दार दरख़्त
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Gulzar
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(359) Peoples Rate This
आ के सज्जादा-नशीं क़ैस हुआ मेरे ब'अद
चशम-ए-ख़ूँबार सा बरसे न कभू पानी एक
दुश्मन के काम करने लगा अब तो दोस्त भी
आ के सज्जादा-नशीं क़ैस हुआ मेरे बा'द
किसी के मैं लिबास-ए-आरियत को क्या समझता हूँ
मरते दम ओ बेवफ़ा देखा तुझे
बरसों ख़याल-ए-यार रहा कुछ खिचा खिचा
अपने मजनूँ की ज़रा देख तो बे-परवाई
गुलशन-ए-इश्क़ का तमाशा देख
न पूछ हिज्र में जो कुछ हुआ हमारा हाल
आशिक़ को न ले जाए ख़ुदा ऐसी गली में
क्या ख़बर है हम से महजूरों की उन को रोज़-ए-ईद