अच्छी मिसाल बनतीं ज़ाहिर अगर वो होतीं
इन नेकियों को हम तो दरिया में डाल आए
Parveen Shakir
Anwar Masood
Rahat Indori
Habib Jalib
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
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एक मैं और इतने लाखों सिलसिलों के सामने
उस सम्त मुझ को यार ने जाने नहीं दिया
मैं, वो और रात
कोई दाग़ है मिरे नाम पर
साअत-ए-हिज्राँ है अब कैसे जहानों में रहूँ
चमक ज़र की उसे आख़िर मकान-ए-ख़ाक में लाई
मिसाल-ए-संग खड़ा है उसी हसीं की तरह
शहर की गलियों में गहरी तीरगी गिर्यां रही
दिल अजब मुश्किल में है अब अस्ल रस्ते की तरफ़
हैं रवाँ उस राह पर जिस की कोई मंज़िल न हो
रंगों की वहशतों का तमाशा थी बाम-ए-शाम
ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं