आप हर दम जो ये कहते हैं कि तू क्यूँ है खड़ा
दिल तुम्हें दे के मैं क्या बैठा रहूँ ऐसे जी
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(323) Peoples Rate This
गर जोश पे टुक आया दरियाव तबीअत का
उस के कूचे में सदा मुझ को नज़र आता है
पलकें नहीं छोड़तीं कि इक दम
नख़्ल लाले जा जब ज़मीं से उठा
'मुसहफ़ी' तू ने ज़ि-बस गुल के लिए हैं बोसे
मर जाऊँगा मैं या वही जावेगा मुझे मार
कहती है नमाज़-ए-सुब्ह की बाँग
सोते हैं हम ज़मीं पर क्या ख़ाक ज़िंदगी है
आशिक़ कहें हैं जिन को वो बे-नंग लोग हैं
है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से
ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
रात करता था वो इक मुर्ग़-ए-गिरफ़्तार से बहस