है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से
जाते हो कहाँ जान मिरी आ के मुक़ाबिल
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(317) Peoples Rate This
तुझ को ऐ सय्याद काविश ही अगर मंज़ूर है
कशिश ने इश्क़ की क्या काम कुछ किया थोड़ा
बस-कि तेज़ाब से कुछ कम भी न था वो दम-ए-क़त्ल
गो कि तू 'मीर' से हुआ बेहतर
ताब-ओ-ताक़त रहे क्या ख़ाक कि आज़ा के तईं
सरासर ख़जलत-ओ-शर्मिंदगी है
ऐ 'मुसहफ़ी' तुर्बत का मिरी नाम न लेना
आँखों को फोड़ा डालूँ या दिल को तोड़ डालूँ
धो डालिए ख़ून 'मुसहफ़ी' का
नाज़ुक है दिल-ए-यार बहुत चाहिए मुझ को
ख़ुश-तालई में शम्स ओ क़मर दोनों एक हैं
हम से वो बे-सबब उलझती है