गर देखिए तो आईना-ए-क़द-नुमा की शक्ल
सूरत मैं बन रहा हूँ तमाम इंतिज़ार की
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(279) Peoples Rate This
गर ये आँसू हैं तो लाख आवेंगे दरिया जोश में
रंग-ए-बदन से उस के ये होता जल्वा-गर
उस की पड़ी न आँख ख़त-ओ-ख़ाल पर तिरे
तेरे कूचे से सफ़र मैं ने किया था जिस दिन
ना-अहल हम हैं वर्ना सरापा में यार के
शब तबक़ में आसमाँ के गिर पड़े थे मेरे अश्क
शहर में मुझ से भड़कता था तसव्वुर तेरा
बिकते हैं शहर में गुल-ए-बे-ख़ार हर तरफ़
औरों की तरफ़ तू देखता है
रहमत तिरी ऐ नाक़ा-कश-ए-महमिल-ए-हाजी
जूँ ही ज़ंजीर के पास आए पाँव
जानिब-ए-कअबा तू क्यूँ ले गया बुत-ख़ाने से