जमुना में कल नहा कर जब उस ने बाल बाँधे
हम ने भी अपने दिल में क्या क्या ख़याल बाँधे
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(301) Peoples Rate This
नख़्ल लाले जा जब ज़मीं से उठा
दफ़ीना घर में क्या था और तो हम बादा-नोशों के
बारा-वफ़ातें बीसवीं झड़ियाँ हैं सौ जगह
कीजिए ज़ुल्म सज़ा-वार-ए-जफ़ा हम ही हैं
कटता हूँ मैं भी वो कि मिरी जिंस-ए-दिल को देख
दिल के आईने की हम लेते हैं तब है है ख़बर
लोग कहते हैं मोहब्बत में असर होता है
गर देखिए तो आईना-ए-क़द-नुमा की शक्ल
मैं उन मुसाफ़िरों में हूँ इस चश्म-ए-तर के हाथ
बस-कि तेज़ाब से कुछ कम भी न था वो दम-ए-क़त्ल
जितना कि ये दुनिया में हमें ख़्वार रखे है
ले लिया प्यार से अक्स अपने का झुक कर बोसा